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विश्व कविता की क्रान्तिकारी विरासत

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उपलब्धता: स्टॉक में है
कैटेगरी: विश्व साहित्य
भाषा: हिन्दी
पृष्ठ: 48
प्रकाशन तिथि:
कुल बिक्री: 209
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विश्व कविता की क्रान्तिकारी विरासत दरअसल विश्व जातीय काव्य–परम्परा की विरासत है, जिसको ग्रहण कर जनपक्षधर और क्रान्तिचेता कवियों ने अपनी कविताओं का परचम विश्व की व्यापक जनता के पक्ष में लहराने का प्रयत्न किया । उन कवियों में मार्क्स, लेनिन, माओ त्से–तुङ, नाजिम हिकमत आदि से लेकर हिन्दी के निराला, मुक्तिबोध आदि कवियों ने उस परम्परा का अपने ढंग से विकास करते हुए एक नये ढंग की संस्कृति–– नव जनवादी संस्कृति–– की ओर विश्व–जनता का ध्यान आकृष्ट करने का काम किया और इस सिलसिले में उन्होंने एक नयी परम्परा का सूत्रपात किया, जिसे हम विश्व–मानवतावाद के नाम से जानते हैं तथा जो उन तमाम क्रान्तिचेता कवियों और लेखकों का अभीष्ट भी रहा है, जो बकौल मुक्तिबोध–– ‘तोड़ने होंगे गढ़ और मठ सब’ और इस जनवादी गीत–पंक्ति–– ‘हर पड़ोसी के बराबर हक की खातिर / जुल्म का कानून मुर्दाबाद’–– की रोशनी में अपनी काव्य–यात्रा निरन्तर जारी रखे हुए हैं ।

 

लेखक : रामनिहाल गुंजन
                जन्म : आरा में 9 नवम्बर 1936 
                पहली रचना : 1955 में ‘कवि’ । 
                1970 में ‘विचार’ पत्रिका का सम्पादन । 
वर्ष 2001 से 2007 तक रामचन्द्र शुक्ल शोध संस्थान की पत्रिका ‘नया मानदंड’ के सात अंकों का सम्पादन । 1961 में जैनेन्द्र किशोर जैन–सम्मान से सम्मानित ।
प्रकाशित पुस्तकें–– जार्ज थामसन की पुस्तक ‘मार्क्सिज्म एण्ड पोइट्री’ का अनुवाद एवं सम्पादन । अन्तोनियो ग्राम्शी की पुस्तक ‘साहित्य, संस्कृति और विचारधारा’ का अनुवाद एवं सम्पादन । ‘रचना और परम्परा’, ‘राहुल सांकृत्यायन % व्यक्ति और विचार’, ‘निराला % आत्मसंघर्ष और दृष्टि’, ‘विश्व कविता की क्रान्तिकारी विरासत’, ‘शमशेर, नागार्जुन, मुक्तिबोध’, ‘प्रखर आलोचक रामविलास शर्मा’, ‘हिन्दी कविता का जनतंत्र’, ‘कविता और संस्कृति’, ‘आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी नव जागरण’, ‘विश्व साहित्य–चिन्तन % विविध आयाम’ ।
सम्पादित पुस्तकें : ‘नागार्जुन % रचना–प्रसंग और दृष्टि’, ‘समकालीन यथार्थवाद और रेणु का सर्जनात्मक साहित्य’ तथा ‘गजल–सप्तक’ (सात गजलकारों की गजलों का संग्रह) ।
काव्य संग्रह : ‘बच्चे जो कविता के बाहर हैं’, ‘इस संकट काल में’, ‘समयान्तर तथा अन्य कविताएँ’ तथा ‘समय के शब्द’ ।

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