यह कहानी एमआईटी इंजीनियरिंग छात्र स्कॉट वारिंग और उसकी दुल्हन मार्था से सम्बन्धित है, दोनों अच्छे परिवारों से हैं । नवविवाहित जोड़ा 1939 में क्वीन मैरी जहाज से फ्रांस के लिए रवाना हुआ, और फिर सनकी नाजियों को देखने के लिए बर्लिन जाने का फैसला किया । वे भीड़ में हिटलर को सुन रहे थे, तभी उनको गेस्टापो के लोगों ने पकड़ लिया और उन पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा । मार्था को यातना देकर मार डाला गया, लेकिन स्कॉट वेश्यालय की एक यहूदी मैडम बर्थे की मदद से भागने में सफल रहा । हालाँकि, अमरीका पहुँचने के बाद उसका जीवन अपराधबोध और दु%ख का एक नीरस मामला बन जाता है । वह यहूदी पहचान अपनाने का भी प्रयास करता है, लेकिन एक मनोचिकित्सक उसे इससे उबरने में मदद करता है । अंतत%, 35 साल की उम्र में, स्कॉट जेनेट गोल्डमैन से मिलता है, जो एक युवा नर्तकी है, जिसे बचपन में जर्मनी के एक कंसेन्ट्रेशन कैम्प में अकथनीय यौन उत्पीड़न सहना पड़ा था । और, स्कॉट के परिवार की असहमति के बावजूद, दोनों का प्यार शादी में बदल जाता है । इस उपन्यास में नाजीवादी जर्मनी की क्रूरता, होलोकोस्ट की त्रासद यादें और यातना शिविरों की दिल दहला देने वाली दास्तान का मर्र्मस्पर्शी और जीवन्त चित्र प्रस्तुत किया गया है ।
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