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राहुल सांकृत्यायन (व्यक्ति और विचार)

120 /-  INR
उपलब्धता: स्टॉक में है
कैटेगरी: आत्मकथा/जीवनी
भाषा: हिन्दी
पृष्ठ: 160
प्रकाशन तिथि:
कुल बिक्री: 211
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प्रस्तुत पुस्तक राहुल सांकृत्यायन के व्यक्तित्व, कृतित्व और विचारों के विविध पक्षों को हमारे सामने लाती है । उनके कार्यों के महत्व को उनके समग्र साहित्य और चिन्तन के अध्ययन–विश्लेषण तथा मूल्यांकन के बाद ही समझा जा सकता है । यों राहुल विशिष्ट अर्थ में जितने बड़े भाषाविद्, पुरातत्वविद्, साहित्यकार और इतिहासकार रहे हैं, उससे अधिक सामान्य अर्थ में वे एक जन–पक्षधर चिन्तक और मानवतावादी लेखक रहे हैं । इस अर्थ में राहुल–साहित्य का विवेचन नि%सन्देह एक सुसंगत और व्यापक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य की माँग करता है । राहुल सच्चे अर्थों में एक युग पुरुष थे । अपने व्यवहारिक और सैद्धान्तिक कामों से राहुल ने देश और विदेश में काफी ख्याति अर्जित कर लिया था । उनका साहित्य हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, पालि, तिब्बती और भोजपुरी आदि भाषाओं में प्रमुख रूप से पाया जाता है । वे देश–भ्रमण और जीवन के व्यावहारिक अनुभवों के बल पर समाज के उस चिन्तन से मुख्य रूप से जुड़े, जिसने व्यापक जनता के हित में उन्हें मार्क्सवाद के अध्ययन से लेकर जन– जीवन में क्रान्ति–चेतना का सूत्रपात करने के लिए सामाजिक–राजनीतिक आन्दोलनों में हिस्सा लेने को प्रेरित किया । 

लेखक : रामनिहाल गुंजन
                जन्म : आरा में 9 नवम्बर 1936 
                पहली रचना : 1955 में ‘कवि’ । 
                1970 में ‘विचार’ पत्रिका का सम्पादन । 
वर्ष 2001 से 2007 तक रामचन्द्र शुक्ल शोध संस्थान की पत्रिका ‘नया मानदंड’ के सात अंकों का सम्पादन । 1961 में जैनेन्द्र किशोर जैन–सम्मान से सम्मानित ।
प्रकाशित पुस्तकें–– जार्ज थामसन की पुस्तक ‘मार्क्सिज्म एण्ड पोइट्री’ का अनुवाद एवं सम्पादन । अन्तोनियो ग्राम्शी की पुस्तक ‘साहित्य, संस्कृति और विचारधारा’ का अनुवाद एवं सम्पादन । ‘रचना और परम्परा’, ‘राहुल सांकृत्यायन % व्यक्ति और विचार’, ‘निराला % आत्मसंघर्ष और दृष्टि’, ‘विश्व कविता की क्रान्तिकारी विरासत’, ‘शमशेर, नागार्जुन, मुक्तिबोध’, ‘प्रखर आलोचक रामविलास शर्मा’, ‘हिन्दी कविता का जनतंत्र’, ‘कविता और संस्कृति’, ‘आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी नव जागरण’, ‘विश्व साहित्य–चिन्तन % विविध आयाम’ ।
सम्पादित पुस्तकें : ‘नागार्जुन % रचना–प्रसंग और दृष्टि’, ‘समकालीन यथार्थवाद और रेणु का सर्जनात्मक साहित्य’ तथा ‘गजल–सप्तक’ (सात गजलकारों की गजलों का संग्रह) ।
काव्य संग्रह : ‘बच्चे जो कविता के बाहर हैं’, ‘इस संकट काल में’, ‘समयान्तर तथा अन्य कविताएँ’ तथा ‘समय के शब्द’ ।

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