कार्ल मार्क्स की यह जीवनी पहली बार 1951 में प्रकाशित हुई थी। कार्ल मार्क्स की विभिन्न भाषाओं में अनेक जीवनियाँ प्रकाशित हो चुकी थीं, पर हिन्दी में प्रकाशित यह पहली पुस्तक थी। एक लम्बे अन्तराल के बाद इसका पुनर्प्रकाशन हो रहा है। कार्ल हेनरिख मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 को जर्मनी के ट्रायर नामक स्थान में हुआ। ज्यों–ज्यों कार्ल मार्क्स बड़े होते गये वह एक अप्रत्याशित मार्ग पर दृढ़ता से बढते गये। उनका स्वभाव लोहे जैसा दृढ़ था। वे कठिन राह पर चलने से जरा भी विचलित नहीं होते थे। कहने की जरूरत नहीं कि पिछले 150 साल के इतिहास में मार्क्सवादी विचारधारा ने दुनिया पर सबसे अधिक प्रभाव डाला है। मार्क्सवाद के जनक कार्ल मार्क्स की जिन्दगी से गुजरना एक अद्भुत अनुभव है।
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