यह किताब डॉ. द्वारकानाथ शान्ताराम कोटनिस (1910–42) के जीवन पर आधारित है जो सितम्बर 1938 में, जापानी–आक्रमण–विरोधी युद्ध में चीनी जनता की सहायता करने के लिए भारतीय मेडिकल मिशन में शामिल हुए थे। फरवरी 1939 में वे येनान पहुँचे और इसके बाद जापान–विरोधी युद्ध के मोर्चे पर पहुँचे। जनवरी 1941 में वे नॉर्मन बेथ्यून अन्तरराष्ट्रीय शान्ति अस्पताल के निदेशक नियुक्त हुए। 9 दिसम्बर 1942 को उनका देहान्त हपेइ प्रान्त की थाङश्येन काउन्टी में हुआ। डॉ. कोटनिस का नाम और उनके कार्य विश्वबन्धुत्व की शानदार मिसाल हैं। उनका बलिदान चीनी और भारतीय जनता की मैत्री के इतिहास को रोशन करता रहेगा।
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शंङ श्येनकुङ | ||
लू चीशान |
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