देखने, पढ़ने और सुनने में यह प्रश्न बहुत साधारण–सा लगता है। उत्तर भी बहुत साफ और सीधा है। गदर पार्टी के इतिहास के बारे में बुनियादी जानकारी रखनेवाले भी जानते हैं कि ‘गदरी बाबा’ हम उन महान क्रान्तिकारी शूरवीरों को कहते हैं जो उत्तरी अमरीका और दूसरे मुल्कों में गये तो रोजी–रोटी और अच्छे जीवन की तलाश में थे, पर विदेशों में जाने से उनकी दृष्टि बहुत विशाल हुई, आजादी की कीमत पता लगी और गुलामी का अहसास तीखा हो जाने से उनमें आजादी के प्रति लगन पैदा हो गयी, अपनी जीवन–भर की जमा पूँजी, जमीन, जायदाद त्यागकर 20वीं सदी के दूसरे दशक में देश को आजाद कराने के लिए, हथियारबन्द इंकलाब करने के लिए हिन्दुस्तान लौटे थे ताकि वे अपने देशवासियों के सहयोग से और अंग्रेजी सेना में शामिल भारतीय सैनिकों की सहायता से ‘गदर’ करके देश को आजाद करवा सकें। कुछ विशेष कारणों के चलते वे गदर करने में तो चाहे सफलता हासिल नहीं कर सके, पर उनके द्वारा की गयी कुर्बानियाँ, दी गयी शहादतें और उनकी निजी जिन्दगी की इख्लाकी ऊँचाइयाँ, उनकी आस्था, दृढ़ता और जुझारू स्वभाव ने आने वाली लगभग सभी क्रान्तिकारी लहरों को प्रभावित और प्रेरित किया।
जब ये लोग अमरीका, कनाडा और दूसरे मुल्कों से देश को आजाद कराने का सपना लेकर आये थे तो इनमें से अधिकतर अपने जीवन के अन्तिम पलों को जी रहे थे। इनमें से जो शहीद हो गये वे तो करतार सिंह सराभा जैसे सदाबहार नौजवानों की तरह लोगों की स्मृति में अंकित हो गये, लेकिन जिन्हें उम्रकैद, काला पानी और जायदाद कुर्की की लम्बी सजा झेलनी पड़ी उनकी जवानी और ताकत जेलों की अन्धेरी काल कोठरियों ने निचोड़ ली। पन्द्रह–पन्द्रह, बीस–बीस वर्षों की लम्बी कैद भुगत कर जब वे जेलों से बाहर आये तब उनकी जवानी के दिन बीत चुके थे। बालों में चाँदी रंग की तारें चमकने लगी थीं। वे भरी जवानीवाले गबरू से ‘बाबा’ बन गये थे। जेल ने निश्चित ही उनकी शारीरिक ताकत को क्षीण कर दिया था पर उनकी हिम्मत, लगन और अपने देश के लोगों के लिए समर्पण भावना अभी भी रक्तमय लौ–सी प्रज्वलित थी। उन्होंने बाद के दौर की क्रान्तिकारी लहरों में सक्रिय नौजवानों के लिए आदर्श व्यक्ति के रूप में प्रेरणास्पद भूमिका भी निभायी। इसी कारण से बाद की क्रान्तिकारी लहरों के अगुआ और कारकून उन्हें सम्मान के साथ ‘गदरी बाबा’ कहने लगे।
गदरी बाबा कौन थे? इस प्रश्न का जवाब देते हुए हम केवल उनकी शारीरिक या भौतिक छवि का ही जिक्र कर रहे हैं, पर इस साधारण से प्रश्न के पीछे की कई जटिलताएँ सुलझाने के लिए हमें कुछ और प्रश्नों से भी संवाद करना पड़ेगा, जिनका जवाब ढूँढ कर ही हम उन महान बाबाओं की क्रान्तिकारिता, हासिल और देश के लिए उनकी देन के बारे में एक स्पष्ट मत बनाने मेंे समर्थ होंगे।
गदरी बाबाओं के अस्तित्व, हस्ती और विचारधारा के बारे में शुरू से ही कई सवालिया निशान लगते रहे हैं। इन सवालों का जवाब तलाशना और गदर पार्टी लहर का वास्तविक स्वरूप और चेहरा–मोहरा उजागर करना हमारा, उनके वारिसों का, लाजिमी फर्ज है।
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