प्रकाशक की ओर से
11 सितम्बर 2001 को जब न्यूयार्क स्थित वर्ल्ड टेªड सेन्टर की दो गगनचुम्बी इमारतों पर आतंकी हमला करके उन्हें जमींदोज किया गया तो उसी के बरक्श एक और 11 सितम्बर को उस दौरान बार–बार याद किया गया। यह घटना थी 1973 में चिली की जनता के बहुमत द्वारा निर्वाचित राष्ट्रपति अलेन्दे का सैनिक तख्तापलट जिसे अमरीकी खुफिया एजेन्सियों और अमरीकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की मदद से चिली की दक्षिणपंथी–फासीवादी ताकतों ने अन्जाम दिया था। साम्राज्यवादी–पूँजीवादी प्रचार–माध्यमों ने इस घटना को जनता से या तो छिपाया, या इसमें तोड़–मरोड़ करके इसकी भ्रामक तस्वीर पेश की। आज भी इस पूरे घटनाक्रम से बहुत थोड़े लोग ही परिचित हैं।
इस पुस्तिका में 11 सितम्बर 1973 को चिली में सैनिक तख्तापलट की घटनाओं के बारे में फिदेल कास्त्रो और अलेन्दे की बेटी बिएत्रिज अलेन्दे के भाषणों का हिन्दी अनुवाद और साथ ही, 1970 से 1973 के बीच चिली में क्रान्ति और प्रतिक्रान्ति की प्रक्रिया का विस्तृत घटनाक्रम प्रकाशित किया जा रहा है।
कास्त्रो और बिएत्रिज ने चिली में तख्तापलट के कुछ ही दिनों बाद 10 लाख क्यूबाई जनता की एक रैली को सम्बोधित करते हुए इन भाषणों में अलेन्दे के प्रति अपने भावपूर्ण और विचारोत्तेजक उद्गार व्यक्त किये थे।
फिदेल ने राष्ट्रपति अलेन्दे को जो राइफल उपहार में दी थी वह उनकी आखिरी लड़ाई में अन्त–अन्त तक उनके साथ रही। फिदेल के मुताबिक ‘‘यदि हरएक मजदूर और हरएक किसान के हाथ में ऐसी ही राइफल होती तो फासीवादी इस तरह तख्तापलट नहीं कर पाते।’’ बिएत्रिज 11 सितम्बर को राष्ट्रपति अलेन्दे के साथ ला मॉनेदा पैलेस में जितने समय मौजूद रही थीं, उसका आँखों देखा हाल उन्होंने अपने इस भाषण में बयान किया है।
उम्मीद है कि ये दोनों भाषण और घटनाक्रम इस सैनिक तख्तापलट के साम्राज्यवादी–फासीवादी कुकृत्यों का पर्दाफाश करने तथा क्रान्ति और प्रतिक्रान्ति के बीच इस संघर्ष से कुछ महत्त्वपूर्ण सबक निकालने में सहायक होंगे। इतिहास के इन पे्ररक और विस्मृत पृष्ठों को हिन्दी पाठकों के सामने प्रस्तुत करने का हमारा यह प्रयास आपको कैसा लगा, इस बारे में अपने सुझावों और आलोचनाओं से हमें अवश्य अवगत करायेंगे।
--गार्गी प्रकाशन
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