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प्रस्तुत पुस्तक खाद्य संकट के उद्भव और इसके कारण तथा समाधन पर केन्द्रित लेखों का संकलन है। पहला, तीसरा और चैथा लेख मन्थली रिव्यू के विशेषांक जुलाई–अगस्त 2009 से लिया गया है, और दूसरा तथा पाँचवा लेख उसी जरनल के विशेषांक जुलाई–अगस्त 1998 से लिया गया है। हम इसके लिए मन्थली रिव्यू के आभारी हैं।
पहले लेख में खाद्य संकट को समझने के विभिन्न आयाम प्रस्तुत किये गये हैं। दूसरा लेख खाद्य पदार्थों और कृषि के बारे में बहुराष्ट्रीय निगमों की राजनीति का खुलासा करता है और बताता है कि कैसे विश्व व्यापार संगठन के माध्यम से अमरीका और अन्य विकसित देशों ने तीसरी दुनिया की खेती और खाद्य पदार्थों पर अपना नियन्त्रण स्थापित कर लिया है। तीसरे लेख में खाद्य संकट से सम्बन्धित तीन अन्तरविरोधों-- खाद्य पदार्थ बनाम पशुआहार, खाद्य पदार्थ बनाम निर्यात और खाद्य पदार्थ बनाम कृषि इन्धन-- को आधर बनाया गया है। चैथे और पाँचवे लेख खाद्य संकट के समाधन के लिए विकल्प प्रस्तुत करते हैं।
आशा है, यह संकलन पाठकों को खाद्य संकट की तह में जाकर समस्या को समझने में सहायक सिद्ध होगा।
इस संकलन के बारे में हमें पाठकों की आलोचनाओं और सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी।
--गार्गी प्रकाशन
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