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अन्तहीन संकट

150 /-  INR
उपलब्धता: स्टॉक में है
भाषा: हिन्दी
आईएसबीएन: 81-87772-39-5
पृष्ठ: 248
अनुवादक: दिगम्बर
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अनुवाद : दिगम्बर

यह पुस्तक 2009 और 2012 के बीच लिखी गयी थी। इसके अध्याय मूलत: मंथली रिव्यू पत्रिका में प्रकाशित हुए थे, जिसके सम्पादक जॉन बेलामी फोस्टर हैं और जिसमें रॉबर्ट डब्लू मैक्केस्नी अकसर लिखा करते हैं। इस पुस्तक का एक अंश––

2007–09 के वित्तीय महासंकट का सम्बन्ध भी ‘‘वास्तविक उत्पादक अर्थव्यवस्था’’ में इसी मंथरता से था, जिसके लिए कुछ लोग ठहराव शब्द का प्रयोग करते हैं। चीन और मुठ्ठी भर उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएँ हाल के वर्षों में निरन्तर विस्तारित होती रहीं, लेकिन वे भी इस आम संकट से खुद को बचा पाने में समर्थ नहीं हैं और उनमें भी ढलान की ओर खिसकने और बढ़ती अस्थिरता के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। दिनों–दिन वैश्वीकृत होती इस अर्थव्यवस्था में शामिल विभिन्न राष्ट्रों का भाग्य एक–दूसरे से अधिकाधिक अन्तरगुम्फित होता जा रहा है।

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