इसी पुस्तक से ...
"बहुत सारे अमरीकी नागरिकों के लिए यह पहला इशारा था कि आरपानेट जैसी कोई चीज अस्तित्व में है। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी पहले ही 1970 के दशक में अमरीकी नागरिकों की निगरानी मुहिम में प्रोटो–इन्टरनेट का प्रयोग कर रही थी। इस तरह के खुलासों से आहत होकर सिनेट वाटरगेट कमेटी के अध्यक्ष की भूमिका के लिए प्रसिद्ध सिनेटर सैम इरविन जो पफौजी पफाइलों की जाँच–पड़ताल में शामिल थे, उन्होंने अप्रैल 1975 में एमआईटी में भाषण देते हुए कहा कि बेइन्तहा डाटा स्टोर क्षमता और आसमानी बिजली की रफ्रतार वाले कम्प्यूटर आने से निजता 'प्राइवेसी' के लिए खतरा बढ़ गया है। नागरिकों की फौजी निगरानी और इससे सम्बन्धित डाटा की सिनेट द्वारा की गयी जाँच–पड़ताल ने यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के कानून विभाग के प्रोफेसर आर्थर आर मिलर को सिनेट के संवैधानिक अधिकारों की उप–समिति, जिसके मुखिया इरविन थे, उसके सामने यह कहने के लिए मजबूर होना पड़ा––
पता नहीं नागरिकों को यह बात मालूम है या नहीं कि जब वे टैक्स भरते हैं, जीवन बीमा करवाते हैं या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन देते हैं, सरकारी लाभ प्राप्त करते हैं, नौकरी के लिए साक्षात्कार देते हैं तो उनके नाम से निगरानी फाइल खुल जाती है तथा उनकी विस्तृत जानकारी सामने आ जाती है। अब तो बात इस हद तक पहुँच गयी है कि जब हम हवार्ई जहाज में यात्रा करते हैं, देश के किसी होटल में कमरा बुक करवाते हैं या कार किराये पर लेते हैं तो कम्प्यूटर हमारी गतिविधियों को अपनी मेमोरी में रिकार्ड कर लेता है। जब इसका विश्लेषण किया जाता है तो हमारी आदतों, गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी मिल जाती है। निगरानी के लिए आधुनिक तकनीक द्वारा विश्लेषण किये जाने, जासूसी करने या खोजबीन करने को कोई भी पसन्द नहीं करता। हालाँकि यह निगरानी अमरीकी लोगों में डर की भावना पैदा करती है कि गर्भ से कब्र तक उनकी निगरानी की जाती है।
निजी जिन्दगी सम्बन्धी जानकारियों पर खतरा लगातार बढ़ रहा है, यहाँ तक कि बहुत सारे अमरीकी नागरिक इस बात से अनभिज्ञ हैं कि सरकारी एजेंसियाँ तथा प्राइवेट कम्पनियाँ नागरिकों की निजी जिन्दगी से सम्बन्धित गतिविधियों को कम्प्यूटर तथा माइक्रो फिल्म तकनीक की सहायता से एकत्रित, संग्रहित और आपस में साझा कर रही हैं। शायद ही कोई दिन होगा जब किसी नये डाटा का खुलासा न होता हो––– जरा अमरीकी फौज के सूचना इकट्ठा करने वाले कार्यकलाप को देखिए। इस साल की शुरुआत में पता चला कि फौजी गुप्तचर विभाग काफी समय से बहुत सारे संगठनों की कानूनी राजनैतिक गतिविधियों पर योजनाबद्ध तरीके से निगरानी रख रहा था और घटनाओं की रिपोर्ट और कानूनी प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाले लोगों की गुप्त फाइलें तैयार कर रहा था।...
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