ट्रंप इन दी व्हाइट हाउस में जॉन बेलामी फॉस्टर ने ट्रंप और उसके नव फासीवाद की परिघटना का उसके पूरे ऐतिहासिक संदर्भ के साथ विश्लेषण किया है। फॉस्टर बताते हैं कि ट्रंप एक ठहरावग्रस्त अर्थतंत्र के आखिरी मुकाम पर सत्तासीन हुए है जहां नवउदारवाद ने लोकतंत्र का परदा उतारकर फेंक दिया है। इसके खोल के नीचे हमें एक निरंकुश शासन दिखाई पड़ता है जो घटते वेतन, विज्ञान विरोध और जलवायु परिवर्तन के नकार, खत्म होती सार्वजनिक शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था तथा बढ़ती जेलें, लोगों की निगरानी और दुनिया पर युद्ध थोपता है-- यह सब एक फर्जी लोकप्रियतावाद की आड़ में चल रहा है, जो सदियों पुराने नस्लवाद की सढ़ाद से भरा हुआ है।
लेकिन फॉस्टर अपनी किताब को निराशा में खत्म नहीं करते हैं। उनके विश्लेषण में जवाबी कार्रवाई की एक जोरदार अनुगूंज है। विरोध प्रदर्शन, जनता की मांगें, गठबंधन-- सबकी जरूरत है। पूंजीवाद विरोधी क्रांतिकारी राजनीति के बिना बदलाव नहीं हो सकता। समाहार के रूप में फॉस्टर बताते हैं कि धरती की तबाही को रोका जाए; अंतहीन युद्ध खत्म किया जाए; सभी दबे कुचले लोगों के साथ विश्वव्यापी भाईचारा कायम किया जाए। और एक समतामूलक समाज का निर्माण किया जाए, जो अपरिहार्य है और पूरी तरह संभव है।
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