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पत्थरों का देश

120 /-  INR
उपलब्धता: स्टॉक में है
भाषा: हिन्दी
आईएसबीएन: 81-87772-34-4
पृष्ठ: 208
अनुवादक: आनन्द स्वरूप वर्मा
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अनुवाद : आनन्द स्वरूप वर्मा

अलेक्स ला गुमा का यह उपन्यास  पत्थरों का देश 1967 में प्रकाशित हुआ और अपने शीर्षक के अनुरूप ही इसने रंगभेद और नस्ली उत्पीड़न का दंश झेल रहे दक्षिण अप्रफीका की एक तस्वीर प्रस्तुत की।

अलेक्स ला गुमा का यह उपन्यास दक्षिण अप्रफीका के उस दौर का चित्रण करता है जब दुनिया की अत्यन्त बर्बर व्यवस्था यानी रंगभेद नीति की चपेट में दक्षिण अप्रफीका पड़ा हुआ था। 1948 में नेशनल पार्टी ने वहाँ सत्ता सम्भाली थी और उसने “काले खतरे” को समाप्त करने के वायदे के साथ रंगभेद नीति को आधिकारिक तौर पर लागू किया। फासीवाद की पोषक इस पार्टी ने सत्ता में आते ही ऐसे बेशुमार कानून बनाये जो देश की कुल आबादी के पाँचवें हिस्से–– मुट्ठीभर गोरों के हित में हों--

 

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