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केन सारो-विवा

100 /-  INR
1 रिव्यूज़
उपलब्धता: स्टॉक में है
भाषा: हिन्दी
आईएसबीएन: 8187772794
पृष्ठ: 154
प्रकाशन तिथि:
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  • केन सारो-वीवा के जीवन पर लिखित आनंद स्वरूप वर्मा की यह पुस्तक बेहद महत्वपूर्ण है. नाइजीरिया की सैनिक हुकूमत ने केन सारो-वीवा को 10 नवंबर 1995 को उनके आठ साथियों सहित फांसी पर लटका दिया. केन सारो-वीवा के संघर्ष ने नाइजीरिया ही नहीं बल्कि तीसरी दुनिया के तमाम देशों में इन देशों की सत्ताओं के साथ साठगांठ करके बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़े बड़े निगमों की लूट के खिलाफ एक जुझारू चेतना का निर्माण किया. उन्होंने अपने कार्यों से ओगोनी समुदाय के उन लोगों को ताकत दी जो अल्पसंख्यक होने के नाते अपने को बहुत कमजोर समझते थे और बेजुबानों को आवाज दी. केन एक प्रखर लेखक, कवि और पत्रकार थे. टेलीविजन पर उनके कार्यक्रमों को नाइजीरिया में अभूतपूर्व लोकप्रियता मिली थी और वह एक संपन्न परिवार से आते थे. संवेदनशील होने के नाते उन्होंने समाज के हाशिए पर पड़े लोगों के दर्द को अपना दर्द समझा और उनकी जिंदगी बेहतर बनाने के लिए अपनी जिंदगी को दांव पर लगा दिया.

    इस पुस्तक में केन सारो-वीवा के संघर्ष के अनुभवों को दर्ज किया गया है जिससे सत्ता का दमनकारी चरित्र उद्घाटित होता है. पुस्तक में अदालत में दिया गया केन सारो-वीवा का अंतिम बयान भी संकलित है. उन्होंने नाइजीरिया की परिस्थिति के संदर्भ में साहित्य और राजनीति के संबंधों पर भी रोशनी डाली है जो तीसरी दुनिया के देशों के लिए बहुत प्रासंगिक है क्योंकि इन देशों में भी सत्ता और विदेशी पूंजी की दुरभि संधि से जनता की लूट जारी है. केन सारो-वीवा का जीवन खासतौर पर उन संस्कृतिकर्मियों के लिए अनुकरणीय है जो सामाजिक बदलाव में लेखन और संस्कृति की भूमिका को समझना चाहते हैं.

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