न्गुगी वा थ्योंगो
अफ्रीकी संस्कृति, भाषा और पहचान को केंद्र में रखकर रची गई न्गुगी वा थ्योंगो की रचनाएँ उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और सामाजिक अन्याय के ख़िलाफ़ सशक्त प्रतिरोध हैं. न्गुगी वैश्विक दृष्टिकोण के साथ स्थानीय संघर्षों को जोड़ते हैं. उनका आत्मनिर्णय देशज है. वे संभवतः विश्व के ऐसे एकमात्र उपन्यासकार हैं जिनके एक पात्र के विरुद्ध तत्कालीन सरकार ने गिरफ्तारी का वारंट जारी कर किया था. हिंदी के पाठक न्गुगी वा थ्योंगो के आनंद स्वरूप वर्मा द्वारा किए गए अनुवादों से परिचित हैं. अब जब वे नहीं हैं उनकी रचनाएँ रहेंगी. लेखक-अनुवादक दिगम्बर का यह आलेख प्रस्तुत है.....
पूरा पढने के लिए लिंक पर क्लिक करें.....
https://samalochan.com/ngugi-wa-thiongo/
न्गुगी वा थ्योंगो की पुस्तकें