आमतौर पर यह माना जाता है कि गुप्तरोग, गर्भपात, व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, देह–व्यापार, तलाक, शराबखोरी जैसी सामाजिक बुराइयाँ धर्म और अध्यात्म से जुड़ी हुई हैं। इन पापाचारों का समाधान भी धर्म और अध्यात्म से करने के दावे किये जाते हैं। हजारों सालों से धर्म और अध्यात्म के नुस्खों से इन सामाजिक बुराइयों को खत्म करने की कोशिश की गयी लेकिन ये बुराइयाँ न केवल बनी रहीं बल्कि इनका चैतरफा विस्तार भी हुआ। कोई भी देश या समाज इनसे अछूता नहीं है। पहली बार रूसी क्रान्ति के बाद स्थापित मजदूरों के राज्य सोवियत संघ ने अनूठा वैज्ञानिक प्रयोग किया। वहाँ इन्हें धर्म और अध्यात्म के भरोसे न छोड़कर इनके खिलाफ मुकम्मिल लड़ाई लड़ी गयी जो वैज्ञानिक तरीकों पर आधारित थी। वहाँ की सफलता को आज साम्राज्यवाद कुत्सा–प्रचार की आँधी चलाकर इन्हें खत्म करने की साजिश कर रहा है। इन सच्चाइयों को जनता के सामने लाने का काम इस पुस्तक में किया गया है।
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डाइसन कार्टर |
बहुत अच्छी पुस्तक है।
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