डॉ. सुधा चैधरी की पुस्तक ‘दर्शन की सामाजिक भूमिका और भारतीय जीवन दृष्टि’ जितनी दर्शनशास्त्र के पठन–पाठन में लगे हुए लोगों के लिए उपयोगी और आकर्षक है, उतनी ही सामान्य पाठक के लिए भी। यह पुस्तक हिन्दी भाषा में दर्शनशास्त्र को समझने, हमारे जीवन में उसके महत्त्व को स्थापित करने, उसकी मुक्तिकामी परियोजना को मुकम्मल तौर पर सामने रख कर दर्शनशास्त्र के भविष्य के बारे में प्रबुद्ध और सामान्य जन को प्रेरित करने में निश्चय ही कामयाब रहेगी। इस पुस्तक का लिखा जाना हिन्दी–उर्दू क्षेत्र की जनता की एक बड़ी जरूरत को पूरा करता है।
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