समकालीन तीसरी दुनिया का ‘प्रगतिवादी नेपाली साहित्य विशेषांक’ प्रकाशित
द्वारा In Book Reviewअभिषेक श्रीवास्तव-
2016 के दिसम्बर में पत्रिका का प्रकाशन बंद होने के काफी पहले से जिसकी तैयारी चल रही थी, समकालीन तीसरी दुनिया का वो नेपाली साहित्य विशेषांक अब जाकर आया है। वेलकम नहीं करेंगे? प्रतियां मँगवाने के लिए सीधे Anand Swaroop Verma जी से संपर्क करें। उम्मीद की जानी चाहिए कि हम सब का इकलौता ठीहा रही यह ऐतिहासिक पत्रिका फिर से चालू होगी।
आनंद स्वरूप वर्मा-
एक लंबे इंतजार के बाद समकालीन तीसरी दुनिया का ‘प्रगतिवादी नेपाली साहित्य विशेषांक’ प्रकाशित हो गया और अब यह पाठकों के लिए उपलब्ध है। नेपाली साहित्य से हिंदी पाठकों को परिचित कराने की दिशा में यह पहला संगठित प्रयास है। इस प्रयास को सफल बनाने में नेपाल के साथियों ने काफी मदद पहुंचायी।
अंक का संपादन युवा पत्रकार और संस्कृतिकर्मी नरेश ज्ञवाली ने किया है और इनका मार्गदर्शन किया सलाहकार मंडल के वरिष्ठ सदस्यों ने जिनमें शामिल हैं निनु चापागाई, खगेंद्र संग्रौला, हरिगोविंद लुइटेल, इस्माली और मणि काफ्ले। ये सभी नाम नेपाली साहित्य के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। नेपाली से हिंदी में अनुवाद का उल्लेखनीय भाग प्रकाश उपाध्याय ने संभाला जो 1970 के दशक में आकाशवाणी दिल्ली के नेपाली समाचार विभाग में कार्यरत थे जिन दिनों मैं भी वहां हिंदी समाचार विभाग में काम करता था। उन्होंने मेरे अनुरोध को स्वीकार कर अपना बड़प्पन दिखाया।
240 पृष्ठों के इस अंक में 60 कवियों और 20 कहानीकारों की रचनाओं के अलावा कुछ महत्वपूर्ण साक्षात्कार, संस्मरण, एकांकी और निबंध शामिल हैं।
अंक का मूल्य भारत में 160 रुपये और नेपाल में 200 नेपाली रुपये है।
अंक प्राप्त करने के लिए-
समकालीन तीसरी दुनिया, क्यू-63, सेक्टर-12, नोएडा, 201301
vermada@hotmail.com
और
गार्गी प्रकाशन, 1/4649/45बी, गली नंबर-4, न्यू मॉडर्न शाहदरा, दिल्ली-110032
gargiprakashan15@gmail.com
से संपर्क किया जा सकता है।
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