प्रकाशकीय
समाजवाद का ककहरा के लेखक लियो ह्यूबरमन वामपंथी बुद्धिजीवियों के लिए ही नहीं, बल्कि सुधी पाठकों के लिए भी सुपरिचित नाम है। यह द ए बी सी ऑफ़ सोशलिज्म का हिंदी अनुवाद है, लेखक की मशहूर पुस्तक मैन्स वर्ल्डली गुड्स का हिन्दी अनुवाद मनुष्य की भौतिक सम्पदाएँ गार्गी प्रकाशन से प्रकाशित हुई है और पाठकों ने इसे इसे काफी सराहा है। न्यूयार्क से प्रकाशित पत्रिका मंथली रिव्यू के संस्थापक सम्पादक के रूप में समाजवाद के प्रचार–प्रसार में उनका अनुपम योगदान रहा है।
लियो ह्यूबरमन अपने बहुमूल्य लेख वामपंथी प्रचार के बारे में समाजवादी विचारों के प्रचार–प्रसार के बारे में जो प्रस्थापनाएँ दी है यह पुस्तिका उसे अमली जामा पहनाती है। उनका मानना था कि ‘‘सच्चाई हमारे पक्ष में है। समाजवादी प्रचारकों का काम उस सच्चाई को सुस्पष्ट और अत्यन्त स्वीकार्य रूप में प्रस्तुत करना है।... भारी भरकम शब्दावली और गाली–गलौज न तो किसी विषय को स्पष्ट करते हैं और न ही उसे स्वीकार्य बनाते हैं। वामपंथी जुमलेबाजी जैसे ‘‘फासीवादी नरपशु’’ या ‘‘साम्राज्यवाद का पालतू कुत्ता’’ काम के बोझ से लदे वामपंथी लेखकों के लिए आसान तरीका हो सकता है, लेकिन इसका उन लोगों के लिए कोई अर्थ नहीं जो पहले से ही मनोहर वामपंथी दायरे में शामिल न हुए हों।... जब तथ्य इतना चीख–चीख कर और इतने स्वीकार्य रूप से हमारी बात कह रहे हों तो भला बढ़ाचढ़ा कर या तोड़–मरोड़ कर बात कहने की जरूरत ही क्या है ?’’ (मंथली रिव्यू, सितम्बर 1950)
इस पुस्तिका में समाजवाद के मूल सिद्धान्तों को अमरीकी समाज की सच्चाइयों के आधार पर बहुत ही तार्किक, सुस्पष्ट और कायल बनाने वाली शैली में प्रस्तुत किया गया है। इसमें दिये गये आँकड़े 50–60 साल पुराने हैं और उदाहरण अमरीकी समाज से लिये गये हैं, लेकिन पूँजीवाद के मूल लक्षणों को समझने में इससे कोई व्यवधान नहीं आता। अमरीकी समाज पूँजीवाद–साम्राज्यवाद का प्रतिनिधि उदाहरण है। इस लिहाज से ये उदाहरण समाजवाद के मूल सिद्धान्तों को समझने में सहायक ही हैं। अनुवाद में भी मूल रचना की सरल–सम्प्रेषणीय शैली का निर्वाह करने का प्रयास किया गया है।
इस पुस्तिका के बारे में पाठकों की राय, सुझाव और आलोचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी।
--गार्गी प्रकाशन
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