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लोहे का बैल

220 /-  INR
उपलब्धता: स्टॉक में है
भाषा: हिन्दी
आईएसबीएन: 978-93-94061-78-1
पृष्ठ: 252
प्रकाशन तिथि:
प्रकाशक: अन्तरराष्ट्रीय प्रकाशन
अनुवादक: वीरेन्द्र सिंह
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लोहे का बैल  चीन की खेती में क्रान्ति का दस्तावेज, दूसरे महायुद्ध के बाद चीन की खेती में हुए क्रान्तिकारी बदलावों का विलियम हिंटन द्वारा प्रस्तुत आँखों देखा हाल है । वे संयुक्त राष्ट्र संघ की एक परियोजना के अन्तर्गत तकनीकी स्वयंसेवक के रूप में अमरीका से चीन गये थे जिसका उद्देश्य खेती में ट्रैक्टर के उपयोग को बढ़ावा देना था । इस किताब में कृषि मशीनीकरण के इस महा अभियान के शुरुआती सोलह महीनों की कहानी है । इस परियोजना को क्रान्तिकारी मुक्त क्षेत्र के गरीब और मध्यम किसानों का भरपूर समर्थन मिला जबकि कुओेमिन्तांग के प्रभाव वाले क्षेत्र में वहाँ के सामन्तों ने इसे कदम–कदम पर बाधित किया ।
इस किताब में बताया गया है कि साम्राज्यवाद परस्त कुओेमिन्तांग शासन की समाप्ति और चीनी जन गणराज्य की स्थापना के बाद आमूल भूमि सुधार और मशीनी खेती से चीनी समाज में एक बुनियादी बदलाव आया, जिसने वहाँ जीवन के हर पहलू को गहराई से प्रभावित किया । इसमें दक्षिण पर्वत श्रेणी की प्रशिक्षण कक्षाएँ, चिहेंग कृषि राज्य की स्थापना, ट्रैक्टर शक्ति द्वारा बंजर भूमि में बदलाव, आधुनिक मशीनों द्वारा उगायी गयी पहली फसल और उत्तरी चीन की पहली आधुनिक खेती का जीवन्त चित्रण किया गया है ।

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