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देश विदेश 30 /दिसंबर 2018 (फ्री पीडीएफ)

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1 रिव्यूज़
उपलब्धता: स्टॉक में है
भाषा: हिन्दी
पृष्ठ: 68
प्रकाशन तिथि:
प्रकाशक: देश विदेश
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सम्पादकीय
01 सरकार और रिजर्व बैंक में तकरार के निहितार्थ                     
04 आर्थिक संकट के भवर में धँसता भारत ––मोहित पुण्डीर                         
06 विश्वव्यापी महामन्दी के 10 साल ––अनुराग                      
09 आम चुनाव से पहले देश के सामने वास्तविक समस्या क्या है ––आनन्द प्रकाश           
12 राफेल घोटाला : आखिर सच क्या है ? ––राजेश चौधरी                 
15 अमरीकी धमकियों के प्रति भारत का रुख, क्या विश्व व्यवस्था में बदलाव के संकेत हैं? ––प्रवीण कुमार            
पर्यावरण
19 जलवायु संकट पर नयी रिपोर्ट : विनाश की ओर बढ़ती मानव जाति ––सन्देश कुमार  
21 दुनिया को प्लास्टिक के ढेर में बदलती बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ ––सन्देश कुमार         

22 नोटबन्दी : विफलता और त्रासदी की दास्तान ––सीमा श्रीवास्तव              
25 जर्मनी में नाजी शासन और आइन्स्टीन ––बी कुजनेत्सोव             
कहानी
28 पराया आदमी ––इतालो कालविनो             
श्रद्धांजलि
29 फहमीदा रियाज का गुजर जाना ––सुनीता शर्मा       

31 बढ़ती मानसिक बीमारियाँ : लाइलाज होती सामाजिक व्यवस्था का लक्षण – – विक्रम प्रताप      
समाचार विचार
35 गुजरात में उत्तर भारतीय मजदूरों पर हमले ––अजय गुप्ता     
36 देश के बच्चे कुपोषण की गिरफ्त में ज्योति गुप्ता   
38 कुपोषण से बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन ? ––मोहित कुमार   
39 दिल्ली सफाई कर्मचारियों की हड़ताल ––राजकमल         
40 बैंक कर्मियों की आत्महत्या : जिम्मेदार कौन ? ––जुनूनी विशाल       
41 न्यूज चैनल : जनता को गुमराह करने का हथियार ––शैलेश      
42 वैश्वीकृत दुनिया बच्चों की कब्रगाह बन गयी है  
43 सर्वउपयोगी प्रवासी मजदूर                     
44 आधार का कोई आधार नहीं –– ईशान           
45 अम्बानी देश से न भागे, एरिक्सन की न्यायालय से अपील ––अजहर 
46 जड़ी–बूटियों की लूट का धंधा –– आलोक पाठक       
47 जहरीली हवा की गिरफ्त में दिल्ली ––सनी           
48 बेघरों के देश में तब्दील होता ब्रिटेन               
49 खस्ताहाल अस्पताल ––कोमल                  
50 बहुमंजिली इमारत से गिरकर मरते मजदूर ––कोमल       

51 ‘‘बहुत कुछ किया जाना बाकी है’’ अलेदा ग्वेरा का साक्षात्कार ––रॉन ऑगस्टन 
54 ब्राजील की सत्ता पर धुर दक्षिणपंथी ताकतों का कब्जा ––सुनील कुमार    
56 फेक न्यूज के शिकंजे में भारत ––अजहर       
58 सबरीमाला मन्दिर में महिलाओं के प्रवेश पर राजनीति ––दीप्ति   
59 देश में बढ़ती हड़तालें और  धरना–प्रदर्शन ––अमरपाल     
62 लोकतंत्र का लबादा ओढ़े अमरीकी तानाशाही ––जॉन डब्ल्यू व्हाइटहैड   
66 ‘‘मैं’’ और ‘‘हम’’ ––माइकल डी येट्स      

  • बहुत अच्छी पहल।

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